स्मार्टफोन के प्रीमियम सेगमेंट में पहले दो ही जॉइन थे। एप्पल और सैमसंग जिन्होंने अपनी बहुत ही स्ट्रांग होने वाले क्रिएट कर रखी थी। लेकिन फिर आया इन का सबसे बड़ा कंपटीशन सिर्फ 3 साल में 40% मार्केट शेयर पर कब्जा करके इन दोनों ब्रांच को पीछे छोड़ दिया और नए-नए इनोवेशंस करके एक बहुत ही सॉन्ग ब्रांड इमेज भी क्रिएट कर ली। लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि आज से महज 10 साल पहले शुरू हुई यह कंपनी सक्सेस के पीक पर जाकर धीरे-धीरे मार्केट से अपनी लॉयल्टी को नहीं लगी जो इसके फाउंडर को कंपनी छोड़ नहीं पड़ गई और अब वनप्लस को ओप्पो की कॉपी क्यों कहा जा रहा है। यह सब कुछ डिटेल में जानते हैं।
ऐसा था पहले
तो दोस्तों वनप्लस के को काउंटर कालू भाई 2010 की अपनी स्टडी के दौरान ही नोकिया कंपनी में काम करने लगे थे। वहां 3 महीने तक काम करने के बाद उन्होंने कंपनी छोड़ दी और उसके बाद ओप्पो को ज्वाइन कर लिया। इस दौरान उन्होंने बहुत ही स्मार्ट पहुंचते हैं और उनके फीचर्स को समझा लेकिन किसी भी फोन से उन्हें हंड्रेड परसेंट संरक्षण नहीं मिल पाया। साथ ही उन्होंने यह भी नोटिस या किसी फोन का डिजाइन अच्छा होता है तो वह अपने मार खा जाता है और अगर किसी के फीचर तो अच्छे होते हैं । तो फिर डिजाइन नहीं और अगर इक्का-दुक्का कोई स्मार्टफोन इन दोनों क्राइटेरिया को थोड़ा बहुत फिर भी कर लेते तो फिर उसकी प्राइस इतनी ज्यादा हाई होती है कि हर कोई सेवा नहीं कर सकता था और दुख तो इसी मार्केट कैप को देखते हुए कार्रवाई नहीं। कैसा स्मार्टफोन बनाने का सोचा जो डिजाइन और पीछे दोनों में ही व्यस्त हो साथ इसकी प्राइस कैटेगरी धीमी ट्रेन दूं ताकि मैं। हम लोग बजट में भी एक प्रीमियम फोन इस्तेमाल करता कि अब अपनी इंडिया डांस के साथ कालू भाई ने ओप्पो कंपनी को छोड़ दिया और अपने एक दोस्त पेटे लाउ के साथ मिलकर वनप्लस नाम की कंपनी बनाई, जिसका मतलब था।
नए कंपनी का स्थापना
कंपटीशन इस्तेमा की सेटिंग कौन सी कंपनी में सिर्फ पांच एम्पलाई देते और यह सभी एक कैफे में बैठकर प्रोजेक्ट्स रिलेटेड बातों पर डिस्कशन किया करते थे। अब अकाल ने देखा कि इन सभी एम्पलॉइस के पास फोन था और इसी वजह से काल्पनिक वीकली उन मेन रिजल्ट को समझ लिया कि आखिर लोग एंड्राइड को क्यों यूज़ नहीं करना चाहते। उन्होंने देखा कि ज्यादातर एंड्रॉयड फोन की पुअर बिल्ड क्वालिटी लागे। सॉफ्टवेयर और सिक्योरिटी इश्यूज नहीं यूजर्स को परेशान कर रखा था और उन्हें वह एक्सपीरियंस नहीं मिल पा रहा था जो कि आई फ़ोन प्रोवाइड कर रहा था। यही वजह है कि व बजट होने के बावजूद कि एप्पल ने अपनी मोनोपोली क्रिएट कर ली। लेकिन फिर उनका क्या जो आईफोन ऑफ ऑडी नहीं कर सकते। यही सब रियल आइज करके कार्बाइन एक बेहद डिजाइन और सस्ते में आई फ़ोन जैसा ही बेहतरीन यूजर एक्सपीरियंस एंड्राइड में दिलाने का सोचा साथ ही काफी है। चोर मार्केट रिसर्च के बाद उन्होंने अपने पूरे मोमेंट को ऑफलाइन के जगह ऑनलाइन रखा क्योंकि ऑनलाइन में वह मार्केटिंग पर बहुत कम खर्च करके भी तेजी से एक बड़ा यूजर बेस क्रिएट कर सकते थे और फिर अपने प्लान को एकजुट करके दिसंबर 2013 में कांग्रेस ने अपना कमाल का स्लोगन है ना उनकी आने व सेटल इसके बाद उन्होंने अपनी एक ऑनलाइन कम्युनिटी भी बनाई जिसके जरिए लोग 1 प्लस, न्यूज़ और फोरम को एक्सेस कर सकते। हालांकि अभी कंपनी ने अपना एक भी स्मार्टफोन लॉन्च नहीं किया था।
लेकिन फिर भी इसकी कम्युनिटी से बहुत बड़ी। लोग जुड़ने लगे थे क्योंकि कहीं ना कहीं लोगों को यह आइडिया हो गया था कि कंपनी को ही नहीं बल्कि नदी प्रोडक्ट बना रही है। फिर आया 23 अप्रैल 2014 का दिन वनप्लस ने अपना पहला स्मार्टफोन लॉन्च किया। अब जब यह फोन लांच होने वाला था तो कंपनी का अनुमान था कि उनके कुछ हजार से ज्यादा स्मार्ट फोन नहीं दिखेंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने पहले वनप्लस वन के सिर्फ एक हजार यूनिट को ही मैन्युफैक्चर किया था। लेकिन कंपनी का यह अनुमान बिल्कुल गलत साबित हुआ क्योंकि यह फोन टेकन तो दिया। उसकी भेज इंस्टेंट हिट साबित हो गया और 1 साल के अंदर ही वनप्लस न्यू फोन की 10 लाख यूनिट भेज कर रिकॉर्ड बना दिया। इस रिकॉर्ड को बनाने के लिए 1 प्लस में दो कमाल के मार्केटिंग कैंपेन पर काम किया था, जिसमें पहला था कि आप इस फोन को तभी खरीद सकते हैं जब आपका कोई दोस्त या जानने वाला आपको उसे रेफर करेगा और दूसरे के अंदर का नाम था। यानी वनप्लस ने कहा कि आप अपना पुराना फोन थोड़ी है और उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करके जिसके बदले में हम आपको ब्रांडेड वनप्लस वन नया स्मार्टफोन देंगे।
वह भी सिर्फ $1 में यह क्या नहीं इतना? पागल हो गया कि सर को एक हफ्ते में ही 140000 लोगों ने अपने स्मार्टफोन तोड़कर उसका वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया और इस तरह सेवंथ क्लास का पहला ही फोन बहुत बड़ा। हिट साबित हुआ। अब इतनी बड़ी सक्सेस के बाद 1 प्लस और कॉन्फिडेंस में आकर तुरंत अपने दूसरे स्मार्टफोन को प्लान करना शुरू कर दिया और बेहतरीन यूजर एक्सपीरियंस को प्रोवाइड करना भूल कर एक ऐसी गलती कर दी। यह कंपनी की रेपुटेशन खराब होने लगी। वायु की कंपनी ने अपने 1 प्लस टू मॉडल के लिए स्नैप ड्रैगन 8370 को सिलेक्ट किया जिसमें। सेटिंग्स मौजूद थे लेकिन कंपनी को लगा कि वह इस प्रॉब्लम को अपने सॉफ्टवेयर ऑप्टिमाइजेशन के थ्रू सॉल्व कर। इस तरह से 28 जुलाई 2015 को वनप्लस 2 लॉन्च हो गया, जिसमें लगभग 2000000 लोगों ने अपनी बुक किया था। लेकिन जब उन्होंने इस फोन को खरीदा तो नहीं मीटिंग में जाने लगे। साथ ही अन्य कौन से फिंगर प्रिंट डिवाइस टीम सिलेक्शन यीशु और इसी तरह के ना जाने कितने प्रॉब्लम फ्यूचर फेस करने लगे और यही वजह थी कि 1 प्लस टू पूरी तरह से फ्लॉप हो गई। अब इस पीरियड के बाद वनप्लस ने बजट कौन से कमेंट में एंटर करने का सोचा था कि वह और भी बड़ा यूजर बेस क्रिएट कर सकें।
इसके लिए 2015 में ही उन्होंने अपने तीसरे स्मार्टफोन वनप्लस एक्स को लॉन्च कर दिया। वह भी सिर्फ ₹17000 में इसमें 8 मेगापिक्सल सेल्फी कैमरा, तेरा मेगापिक्सल मीन कैमरा, 16gb इंटरनल मेमोरी और 3GB रैम जैसे बेहतरीन फीचर्स थे। लेकिन शायद वनप्लस यह भूल गया कि इससे कमेंट में पहले से ही काफी सारा भीड़ है और या उसे बहुत स्ट्रॉन्ग कंपटीशन का सामना करना पड़ेगा और कुछ इसी तरह के प्रॉब्लम्स को पेश करके 1 प्लस 2 के बाद अब वनप्लस एक्सप्रेस फेल हो चुका था। अब दो बड़े फैलियर के बाद सेवन प्लस को यह रियल आइज हो गया। इन लोगों ने कम बजट वाले फोन के लिए। बल्कि उनकी डिमांड मिड रेंज प्राइस में प्रीमियम के लिए है और फिर अपने नए फोन को बनाने से पहले उन्होंने अपनी कम्युनिटी से फीडबैक लिया और सभी कमियों को दूर किया और आखिरकार वनप्लस ने 14 जून 2016 को अपना चौथा स्मार्टफोन फिर से प्रीमियम सेगमेंट पर लोन किया।
जो था वनप्लस 3 इसमें एंड्रॉयड मार्शमैलो बेस्ट ऑक्सीजन हुए। सॉफ्टवेयर डांस आफ चार्जिंग, 3000 एमएच बैटरी, 6GB राम 64GB, इंटरनल स्पेस और अच्छी क्वालिटी का कैमरा जैसी कई बेहतरीन पिक्चर थी और इस फोन का प्राइस रखा। ₹27999 जिसके चलते यह मार्केट में साबित हो गया और फिर कंपनी ने सेमिनार एक और स्मार्टफोन लॉन्च किया। वनप्लस 3T बेहतरीन क्वालिटी लोगों को खूब पसंद आई क्योंकि के डिजाइन और फीचर्स के मामले में गूगल पिक्सेल और आईफोन 7 जैसे फोन की बराबरी कर रहा था। अब तक 1 प्लस कोई अच्छे से पता लग गया था कि यूजर उनसे प्रीमियम फोन क्यों बंद रखते हैं। वह भी मित्रा इसमें और कहीं ना कहीं वनप्लस कंपनी की शुरुआत भी तो इसे क्या कोई फिल करने के लिए की गई थी।
अब कंपनी को अपना पर बस मिल गया था जिस पर काम करते हुए उन्होंने वन प्लस फाइव फॉर वनप्लस 5t जैसे और भी स्मार्टफोन लांच जोकि उस समय की फेमस नोकिआ 8 मोटो Z2 प्ले स्टोर नियर मी मिक्स 2 से भी कहीं ज्यादा अट्रैक्टिव और हनी से 2017 तक के स्मार्टफोन के प्रीमियम सेगमेंट में 40% से भी ज्यादा का मार्केट शेयर अपने कब्जे में ले लिया और महज 3 साल में यह कंपनी एप्पल और सैमसंग जैसे बड़े जेंट्स को भी टक्कर देने लगी थी। अब यहां तक तो कंपनी काफी अच्छी परफॉर्म कर रही थी लेकिन बाकी ब्रांच की तरह। सेंड मी के दौरान उनकी सैलरी कम होने लगी तो कंपनी ने सोचा कि वे अपना फोन प्रीमियम सेगमेंट में लॉन्च कर रहे हैं, लेकिन ठंड में किन लोगों ने अपनी खर्च काफी कम कर दी है तो क्यों ना सेल्स बढ़ाने के लिए दोबारा से एक बजट फोन लॉक किया जाए जिस को मैक्सिमम लोगे फोन कर सके और दोस्तों इस तेजी के साथ ही 2020 में इन्होंने 1 प्लस नोट को लांच किया था।
जिससे यह कमाई करने में तो कामयाब रहे लेकिन कंपनी की रेपुटेशन पहले जैसी नहीं रही और ना ही लोग इसे अब एप्पल और सैमसंग की कंपटीशन के रूप में देख रहे थे। इसी साल के एंड में। पति को फाउंडर का उपाय ने भी कंपनी छोड़ दी क्योंकि उन्हें लगने लगा था कि स्मार्टफोन मार्केट काफी बोरिंग और इनोवेशन से दूर हो चुकी है। इसीलिए उन्होंने एक बिल्कुल नई कंपनी नथिंग की शुरुआत की और इस नाम के पीछे उनका मकसद था कि वह बिल्कुल स्टार्टिंग से इस मार्केट में कुछ ऐसे फंडामेंटल चेंज करेंगे जो बाकी कंपनी से इग्नोर कर रही हैं। कार उपाय के कंपनी छोड़ने के बाद तो 1 प्लस इनोवेशन से और भी ज्यादा दूर हो गई और अपना लॉयल यूजर बेस होने लगी और इस तरह के वंशज को नीचे जाते हुए देख इसके पैरंट कंपनी बीबीके इलेक्ट्रॉनिक्स ने इसे अपनी सब्सिडियरी कंपनी ओप्पो के साथ में मर्ज कर दिया ताकि यह दोनों कंपनी एक दूसरे के इनोवेशंस को ऐड कर सके और फिर इसी साल बाद A1 प्लस 92 को लांच किया।
जो कि 4 महीने के अंदर ही इंडिया में तीन बार ब्लॉक कर दिया और यूजर्स को काफी चोटें भी आई। एस की तस्वीर इंटरनेट पर भी खूब वायरल हुई और एक बार फिर लोगों का इस कंपनी से ट्रस्ट नहीं लगा। योजक इस दिस अपॉइंटमेंट का एक और एक दिन यह भी था कि 1 प्लस एप ओप्पो से मर्ज होने के बाद बिल्कुल उसके जैसी होती जा रही थी। दोनों की फीचर्स काफी हद तक दिन हो गए थे। यहां तक की डिजाइन में भी काफी सिमिलरिटीज नजर आ रही थी और जब कंपनी ने लांच किया कि वह अपने फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम को ऑक्सीजन ओएस की जगह ओप्पो के कलर हो या स्पर्श करने जा रहा है। तब इस फैसले को भी काफी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा क्योंकि प्रीमियम प्राइस तय करने के बाद भी अगर उसके बदले में बजट सेगमेंट जैसा प्रोडक्ट मिले तो फिर यह कस्टमर को क्यों ही पसंद आएगा, लेकिन उसको यही सब बातें थी जो 1% समझ नहीं पाया और 40% मार्केट शेयर को गवाही दे 20% पर। वैसे भले ही आज इस कंपनी ने अपनी रेपुटेशन और ट्रस्ट को काफी हद तक गवा दिया है।
लेकिन आप? यह नहीं कह सकते कि यह कंपनी कंपलीटली बर्बादी के कगार पर खड़ी है क्योंकि अगर यह वापस से अपनी पुरानी वाली काटे जी पर काम करती है। जैसे कम्युनिटी से जोड़ना उनकी प्रॉब्लम को समझना नए-नए इनोवेशंस कर अपने सेगमेंट को आईडेंटिफाई करके उसमें पकड़ बनाना तो नो डाउट वापस से या अपनी पोजिशनिंग पाने में कामयाब हो सकती है। वैसे वनप्लस को वापसी के लिए क्या करना चाहिए। आप अपना ओपिनियन दे हमें कमेंट में जरूर बताइएगा।